4) हम जितना बाहर आते हैं और जितना दूसरों का भला करते हैं, हमारा दिल उतना ही शुध्द होता है और उसमें उतना ही भगवान का निवास होता है।
4) हम जितना बाहर आते हैं और जितना दूसरों का भला करते हैं, हमारा दिल उतना ही शुध्द होता है और उसमें उतना ही भगवान का निवास होता है।