सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय, जन्म, परिवार, मृत्यु, इतिहास, विचार ( Subhas Chandra Bose Biography in Hindi, Birth, Education, Family, Marriage, Death, History)
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे महान देशभक्त के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने हमारे देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई हैI जी हां हम बात कर रहे हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यह नाम केवल एक व्यक्ति विशेष का नहीं है बल्कि उस महान पराक्रमी वीर का है जिसकी रगों में देशभक्ति का रक्त बहता था बोस भारत मां के उन वीर सपूतों में से एक हैं, जिनका कर्ज आजाद भारतवासी कभी नहीं चुका सकते हैं।
सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ। उनेक पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती दत्त था। उनका नाम सुनकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें अक्सर गांधीजी के साथ विचारधाराओं के टकराव का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें वह पहचान नहीं मिली जिसके वह हकदार थे।भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी । इस दौरान उन्होंने पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ विदेश से एक भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व भी किया तो आइए जानते हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के बारे में और अधिक जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें I

Netaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi | नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवन परिचय
पूरा नाम | सुभाष चंद्र बोस |
उपनाम | नेताजी |
जन्मतिथि | 23 जनवरी 1891 |
जन्म स्थान | कटक उड़ीसा |
शैक्षणिक योग्यता | कला में स्नातक |
स्कूल | एक प्रोटेस्टेंट यूरोपीयन स्कूल रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल, कटक, ओडिशा, भारत |
कॉलेज | Presidency College Scottish Church College Fitzwilliam College |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जाति | कायस्थ |
मृत्यु | 18 अगस्त 1948 (जापानी समाचार एजेंसी के अनुसार) |
सुभाषचंद्र बोस का जन्म (Subhas Chandra Bose Birth)
भारत के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में 23 जनवरी 1897 मैं एक संपन्न परिवार में हुआ था आपको बता दे की इनके 14 भाई बहन थेI सुभाष चंद्र बोस अपनी माता पिता की 9 वीं संतान थे उनका पालन बहुत ही अच्छे ढंग से किया गया थाI
सुभाषचंद्र बोस का परिवार (Subhas Chandra Bose Family)

सुभाष के पिता का नाम जानकीनाथ था जोकि कटक के बहुत ही प्रसिद्ध वकील थे सरकार द्वारा समाज के पिताजी को राय बहादुर की उपाधि भी दी गई थी इनके पिता बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे Iसुभाषचंद्र बोस की माता का नाम प्रभावती था जो कि एक कुशल ग्रहणी थी प्रभावती गंगा नारायण दत्त की बेटी थी वैसे तो सुभाष चंद्र के बहुत भाई-बहन के परंतु वहअपने एक बड़े भाई शरद चंद्र के काफी करीब थे I
सुभाषचंद्र बोस के 8 भाई और 6 बहन थी यह अपने माता पिता की नौवीं संतान थे उनका परिवार काफी संपन्न था जिसमें कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं थीIइतने बच्चे होने के बाद भी सभी का पालन पोषण बढ़िया तरीके से किया गया कभी भी किसी बच्चे के लिए किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती गई और सभी पर बेहतर तरीके से ध्यान दिया गया.
सुभाष चंद्र बोस की पारिवारिक जानकारी (Netaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi)
नाम | सुभाष चंद्र बोस |
पिता का नाम | जानकीनाथ बोस |
माता का नाम | प्रभावती देवी |
भाई का नाम | शरद चंद्र बोस |
बहन का नाम | जानकारी नहीं है |
पत्नी का नाम | एमिली शेंक्ली |
बेटी का नाम | अनीता बोस फाफ |
सुभाषचंद्र बोस की शिक्षा Subhas Chandra Bose Education
सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटक के यूरोपियन स्कूल से की प्राइमरी की पढ़ाई पूरी होने के बाद 1909 मैं सुभाष ने Revesicoligiat स्कूल में एडमिशन लियाI सुभाष बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थेIमात्र 15 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने विवेकानंद साहित्य को पूरा पढ़ लिया था 1915 में जब स्कूल की पढ़ाई के दौरान इनकी तबीयत बहुत खराब हो गई थीI परंतु फिर भी इन्होंने अपनी इंटरमीडिएट स्कूल की परीक्षा में दूसरे स्थान प्राप्त किया थाI
नेताजी अपने टीचर के सबसे प्रिय विद्यार्थी थे 1916 में यह कोलकाता चले गए और वहां के प्रेसिडेंट कॉलेज में एडमिशन लेकर बीएसपी विषय से ग्रेजुएशन करने लगे परंतु इस कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर था जो कि भारतीय विद्यार्थी को बहुत परेशान करता थाIजब नेता जी ने उनका विरोध किया और भारतीय विद्यार्थियों का नेतृत्व करने लगे जिसके कारण प्रेसिडेंट कॉलेज से निकाल दिया गया और 1 साल तक परीक्षा देने की सजा दी गईI परंतु बिना देरी किए Skatish कॉलेज में एडमिशन ले लिया और 1919 में बीए की परीक्षा पहले स्थान से पास की और पूरे कोलकाता विश्वविद्यालय में सुभाष को बीए की परीक्षा में दूसरा स्थान मिलाI

सुभाष चंद्र बोस का वैवाहिक जीवन (Subhash Chandra Bose Marraige)
सुभाष चंद्र जब ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो इनकी मुलाकात एमिली से हुई जो कि काफी सुलझी हुई लड़की थी नेताजी ने 1937 में एमिली के साथ शादी कर ली और उनके साथ बारलेन में रहने लगे I परंतु नेताजी की शादी के बारे में किसी को पता ही नहीं था कि सुभाष चंद्र बोस की शादी हो गई है इस बात की जानकारी लोगों को 1993 में पता चली ऐसा दूसरे नेता जी के एक बेटी भी थी जिसका नाम अनीता बोस थाI
सुभाष चंद्र का कैरियर Subhas Chandra Bose ka Career
सुभाष चंद्र बोस सेना में भर्ती होना चाहते थे इसलिए उन्होंने49 वी नेटिव बंगाल रेजीमेंट के लिए परीक्षा दी थी परंतु नेताजी की आंखों में कमी होने के कारण इन्हें सेना में भर्ती नहीं किया गया तब उन्होंने सिविल सेवा की सर्विस में जाने का सोचा परंतु अंग्रेजों की शासन में आईएएस बनना भारतीयों के लिए बहुत ही बड़ी चुनौती का विषय था परंतु फिर भी इनके पिताजी ने इन्हें यूपीएससी की तैयारी करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था परंतु भारतीय होने के कारण किसी भी यूपीएससी तैयारी कराने वाली कोचिंग में एडमिशन नहीं दियाउन्होंने self study करके ही यूपीएससी की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया सुभाष चंद्र बोस को यूपीएससी की परीक्षा में सबसे ज्यादा नंबर इंग्लिश विषय में मिले थेNetaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi
सुभाषचंद्र बोस अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे इसलिए वह इस पद पर काम नहीं करना चाहते थे इसके बाद नेता जी ने अपने भाई शरतचंद्र को एक पत्र लिखा और पत्र में कहा कि मैं स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानता हूं और उनके बताए गए आदेशों का ही पालन करना चाहता हूं ऐसी स्थिति में क्या करूं मैं अंग्रेजों की गुलामी नहीं कर पाऊंगाक्योंकि यह मेरे देश की गरिमा के लिए सही नहीं है और 22 अप्रैल 1921 को इन्होंने उस समय जो भारत के सचिव ईएस मांटेग्यू को अपना इस्तीफा दे दिया इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के ही मानसिक एवं नैतिक विज्ञान मैं ट्राईपास की डिग्री हासिल की और जून1921 मैं अपने देश भारत वापस लौट कर आ गए

इनका जीवन परिचय जरुर पढ़ें –महामानव भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
सुभाषचंद्र बोस का राजनीतिक सफर Subhas Chandra Bose political Struggle
भारत वापस आने के बाद सुभाष स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए और उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की तब इनकी मुलाकात रविंद्र नाथ टैगोर से हुईI उन्होंने सुभाष को महात्मा गांधी से मिलने का सुझाव दिया फिर भी जुलाई 1921 को सुबह पहली बार मुंबई के मणि भवन में महात्मा गांधी से मिले महात्मा गांधी ने सुभाष से कहा कि तुम कोलकाता जाकर देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करोIगांधीजी के सुझाव को मानकर सुभाष चंद्र बोस कोलकाता आ गए और वहां आकर उन्होंने चितरंजन जी दांत से भेंट की चितरंजन दास सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित हैंI और इनके मिलनसार व्यक्तित्व के कारण इन्हें कोलकाता की महापौर का सीईओ बना दिया गयाI
सीईओ के पद पर रहते हुए सुभाष चंद्र ने काफी अच्छे काम किए जिसकी वजह से लोग उन्हें सुभाष चंद्र जी कहकर पुकारने लगे थेI उनके अच्छे कामों की चर्चा चारों ओर फैल गई थीI क्योंकि नेताजी एक युवा लीडर थे जो एक नई सोच लेकर आए थेIसुभाष जल्दी से जल्दी गुलाम भारत को आजाद कराना चाहते थे परंतु पुराने नेताजी सुभाष चंद्र से खुश नहीं थे क्योंकि उनकी विचारधारा पुरानी थी इसलिए राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष का पद पर चुनाव हुआI
एक तरफ सुभाष चंद्र बोस थे और दूसरी और गांधीजी ने पट्टा भी सीतारामय्या को खड़ा कर दिया इस चुनाव में नेताजी ने काफी बहुमत प्राप्त किया और जीत गएIपरंतु सुभाष चंद्र के जीतने से गांधी जी बहुत दुखी थे क्योंकि वह पट्टाबी सीतारामय्या की हार को अपनी हार समझ रहे थेI जैसे ही नेता जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और कुछ दिनों बाद कांग्रेस छोड़ दी और फिर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गयाI
सुभाष चंद्र बोस के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं
दोस्तों सुभाष चंद्र के जीवन में जितनी भी महत्वपूर्ण घटनाएं हुई और सभी हमने विस्तार से नीचे बताई है जरुर पड़ी
सुभाष चंद्र बोस इंडियन नेशनल आर्मी (Subhash Chandra Bose INA)
सितंबर 1939 में जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तब नेता जी ने अपना पूरा ध्यान वहीं पर लगा दिया और इसे इस सुनहरे मौके के रूप में देखा मैं अपनी स्वतंत्र पार्टी के जरिए पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थेI ताकि अंग्रेज पर दवा पड़े और वह जल्द से जल्द भारत छोड़ दें Iइसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार का तेजी से विरोध किया जिसके कारण नेता जी और उनके साथियों को सरकार ने जेल में डाल दिया परंतु वह सुनहरे अफसर को अपने हाथ से खोना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने जेल में अनशन शुरू कर दिया और 2 हफ्ते तक कुछ भी खाया पिया नहीं Iइस कारण इनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी जिसके कारण भारत के नौजवानों ने नेताजी की रिहाई की मांग के लिए सड़क पर उतर आए थे इस कारण ब्रिटिश सरकार ने इन्हें रिहा कर दिया I परंतु नजरबंद रखने का आदेश दिया और इनके घर में ही बंद कर दिया गया और घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया I
इस समय 1941 मैं सुभाष ने अपने भतीजे शिशिर की मदद से वहां से भागने में कामयाब रहे और भागकर बिहार की गोमाह गए इसके बाद सुभाष पाकिस्तान की पैसा पर जा पहुंचे और सो गएI इसके बाद जर्मनी के साथ एडोल्फ हिटलर से मिले सुभाष ने अपनी पढ़ाई के समय ही देशों में भ्रमण कर लिया थाI देश दुनिया में किस तरह के लोग हैं वह अच्छी तरह से समझ चुके थे जब गए इंग्लैंड पढ़ने गए थे तभी उन्हें इस बात की जानकारी लग गई थी कि हिटलर और जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड हैI और नेताजी ने बदला लेने के लिए कूटनीति का उपयोग किया क्योंकि वह समझ गए थे कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त बन सकता हैI

सुभाष चंद्र बोस को नेताजी का नारा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1943 मैं जर्मनी को छोड़कर जापान पहुंचे यहां पहुंचने के बाद आजाद हिंद फौज के नेता मोहन सिंह से मिले तभी नेताजी मोहन सिंह और उनके साथ ही राज बिहारी ने मिलकर एक नई पार्टी आजाद हिंद सरकार बनाईI1944 मैं आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन कर नारा दिया जिसके बोल थे तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा इस नारे ने पूरे देश में नई क्रांति ला दी थीI और हर नौजवान के मुंह पर यही नारा सुनाई देने लगा थाI इस नारे के बाद से ही सुभाष चंद्र नेताजी कहे जाने लगे थेIक्योंकि इनका नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा इससे युवाओं के मन में देश के प्रति समर्पित होने का भाग जागृत हो गया था और वह अपने देश की आजादी के लिए मर मिटने के लिए तैयार थेI
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए
इसके बाद बोस महात्मा गांधी जी के संपर्क में आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। गांधी जी के निर्देशानुसार उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करना शुरू किया। 1928 में जब साइमन कमीशन आया तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया। 1928 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ। उस दौरान गांधी जी पूर्ण स्वराज की मांग से सहमत नहीं थे, वहीं सुभाष को और जवाहर लाल नेहरू को पूर्ण स्वराज की मांग से पीछे हटना मंजूर नहीं था। अन्त में यह तय किया गया कि अंग्रेज सरकार को डोमिनियन स्टेटस देने के लिये एक साल का वक्त दिया जाये। अगर एक साल में अंग्रेज सरकार ने यह मांग पूरी नहीं की तो कांग्रेस पूर्ण स्वराज की मांग करेगी। परन्तु अंग्रेज़ सरकार ने यह मांग पूरी नहीं की इसलिये 1930 में जब कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में हुआ और वहां तय किया गया कि 26 जनवरी का दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
26 जनवरी 1931
26 जनवरी 1931 को कोलकाता में राष्ट्र ध्वज फहराकर सुभाष एक विशाल मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे तभी पुलिस ने उन पर लाठी चलायी और उन्हें घायल कर जेल भेज दिया। जब सुभाष जेल में थे तब गांधी जी ने अंग्रेज सरकार से समझौता किया और सब कैदियों को रिहा करवा दिया। लेकिन अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियों को रिहा करने से साफ इंकार कर दिया। सुभाष ( Netaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi) चाहते थे कि इस विषय पर गांधीजी अंग्रेज सरकार के साथ किया गया समझौता तोड़ दें। लेकिन गांधीजी अपनी ओर से दिया गया वचन तोड़ने को राजी नहीं थे। अंग्रेज सरकार अपने स्थान पर अड़ी रही और भगत सिंह व उनके साथियों को फांसी दे दी गयी। भगत सिंह को न बचा पाने पर सुभाष बोस गांधी जी और कांग्रेस से नाराज हो गए। उन्हें अपने क्रांतिकारी जीवन में 11 बार जेल जाना पड़ा था।
‘राष्ट्रीय योजना समिति’
सुभाष को जल्द ही ‘बंगाल अधिनियम’ के अंतर्गत दोबारा जेल में डाल दिया गया। इस दौरान उनको करीब एक साल तक जेल में रहना पड़ा और बाद में बीमारी की वजह से उनको जेल से रिहाई मिली। उनको भारत से यूरोप भेज दिया गया। वहां उन्होंने, भारत और यूरोप के मध्य राजनैतिक और सांकृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई शहरों में केंद्र स्थापित किये, उनके भारत आने पर पाबंदी होने बावजूद वो भारत आए और परिणामतः उन्हें 1 साल के लिए जेल जाना पड़ा । 1937 के चुनावों के बाद कांग्रेस पार्टी 7 राज्यों में सत्ता में आई और इसके बाद सुभाष को रिहा किया गया| इसके कुछ समय बाद सुभाष कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन (1938) में अध्यक्ष चुने गए, अपने कार्यकाल के दौरान सुभाष ने ‘राष्ट्रीय योजना समिति’ का गठन किया। 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष को दोबारा अध्यक्ष चुन लिया गया, इस बार सुभाष का मुकाबला पट्टाभि सीतारमैया से था। सीतारमैया को गांधीजी का पूर्ण समर्थन प्राप्त था फिर भी 203 मतों से सुभाष चुनाव जीत गए। लेकिन गांधी जी ने पट्टाभि सीतारमैय्या की हार को अपनी हार बताकर अपने साथियों से कह दिया कि अगर वें सुभाष के तरीकों से सहमत नहीं हैं तो वें कांग्रेस से हट सकतें हैं। इसके बाद कांग्रेस कार्यकारिणी के 14 में से 12 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। जवाहरलाल नेहरू तटस्थ बने रहे और अकेले शरदबाबू सुभाष के साथ रहे।
कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा
1939 का वार्षिक कांग्रेस अधिवेशन त्रिपुरी में हुआ। इस अधिवेशन के समय सुभाषबाबू तेज बुखार से इतने बीमार हो गये थे कि उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाकर अधिवेशन में लाना पड़ा। गांधी स्वयं भी इस अधिवेशन में उपस्थित नहीं रहे और उनके साथियों ने भी सुभाष को कोई सहयोग नहीं दिया। अधिवेशन के बाद सुभाष ने समझौते के लिए बहुत कोशिश की लेकिन गांधी और उनके साथियों ने उनकी एक न मानी। परिस्थिति ऐसी बन गयी कि सुभाष कुछ काम ही न कर पाये। आखिर में तंग आकर 29 अप्रैल 1939 को सुभाष ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

फॉरवर्ड ब्लॉक
3 मई 1939 को सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर ही फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया। बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतन्त्र पार्टी बन गयी। द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने से पहले से ही फॉरवर्ड ब्लॉक ने स्वतन्त्रता संग्राम को और अधिक तीव्र करने के लिये जन जागृति शुरू की। फॉरवर्ड ब्लॉक के सभी मुख्य नेताओं को कैद कर लिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सुभाष जेल में निष्क्रिय रहना नहीं चाहते थे। सरकार को उन्हें रिहा करने पर मजबूर करने के लिये सुभाष ने जेल में आमरण अनशन शुरू कर दिया। हालत खराब होते ही सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। मगर अंग्रेज सरकार यह भी नहीं चाहती थी कि सुभाष युद्ध के दौरान मुक्त रहें। इसलिये सरकार ने उन्हें उनके ही घर पर नजरबन्द कर लिया गया।
‘आजाद हिंद फौज’ का गठन
जनवरी 1941 में सुभाष अपने घर से भागने में सफल हो गए और अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुंच गए। उन्होंने ब्रिटिश राज को भारत से निकालने के लिए जर्मनी और जापान से मदद की गुहार लगायी। जनवरी 1942 में उन्होंने रेडियो बर्लिन से प्रसारण करना शुरू किया जिससे भारत के लोगों में उत्साह बढ़ा। वर्ष 1943 में वो जर्मनी से सिंगापुर आए। पूर्वी एशिया पहुंचकर उन्होंने रास बिहारी बोस से ‘स्वतंत्रता आन्दोलन’ का कमान लिया और ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया और नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इसके बाद सुभाष को ‘नेताजी’ कहा जाने लगा।
नेताजी ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आज़ाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के सहयोग से भारत पर आक्रमण किया। अपनी फौज को प्रेरित करने के लिये नेताजी ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया। दोनों फौजों ने अंग्रेजों से अंडमान और निकोबार द्वीप जीत लिये। यह द्वीप आर्जी-हुकूमते-आज़ाद-हिन्द के अनुशासन में रहे। नेताजी ने इन द्वीपों को ‘शहीद द्वीप’ और ‘स्वराज द्वीप’ का नया नाम दिया। दोनों फौजों ने मिलकर इंफाल और कोहिमा पर आक्रमण किया। लेकिन बाद में अंग्रेजों का पलड़ा भारी पड़ा और दोनों फौजों को पीछे हटना पड़ा।
गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा
6 जुलाई 1944 को आजाद हिन्द रेडियो पर अपने भाषण के माध्यम से गांधी को सम्बोधित करते हुए नेताजी ने जापान से सहायता लेने का अपना कारण और आर्जी-हुकूमते-आज़ाद-हिन्द और आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया। इस भाषण के दौरान नेताजी ने गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा तभी गांधीजी ने भी उन्हें नेताजी कहा।
सुभाष चंद्र बोस की पुस्तकें (Subhas Chandra Bose Books)
भारत का संघर्ष पुस्तक का प्रकाशन लंदन से हुआ था यह पुस्तक सुभाष चंद्र बोस ने लिखी थी जिसमें भारत ने किस प्रकार संघर्ष किया है और भारत के नागरिकों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा हैI आजादी को पाने के लिए इसका विस्तृत वर्णन सुभाष चंद्र बोस ने इस पुस्तक में किया है INetaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi

सुभाष चंद्र बोस जयंती (Subhas Chandra Bose Jyanti)
दोस्तों 23 जनवरी को सुभाष चंद जयंती के रूप में मनाई जाती है इस दिन विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम नेताजी के याद में किए जाते हैं। देश के बड़े नेता जैसे प्रधानमंत्री राष्ट्रपति जैसे अन्य प्रतिनिधि सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
नेताजी एक Indian Politician और Freedom Fighter थे। उन्होंने भारत को British Rule से आजादी दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। वह एक महान लेखक और सार्वजनिक वक्ता थे। उनके बहुत से पत्र, भाषण और अन्य ध्यान देने योग्य कृतियों को कई विद्वानों द्वारा पुस्तकों में सुरक्षित किया गया है। सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखित 9 पुस्तके निम्न हैं —एक भारतीय तीर्थयात्री- यह पुस्तक आत्मकथा शैली के रूप में है। 1937 के अंत में उनकी यूरोप यात्रा के दौरान लिखी गई यह पुस्तक बोस के जन्म से लेकर भारतीय सिविल सेवा से इस्तीफा देने तक की जानकारी देती है।युवा के सपने– 1928 मैं प्रकाशित पुस्तक राजनैतिक सैलीं की है।एमिली शेंकल को पत्र 1934-1942।।। इसका प्रकाशन 1994 को हुआ था।
आजाद हिंद: लेखन और भाषण, 1941-43।।। पुस्तक का प्रकाशन 2004 में किया गया जिसकी शैली ऐतिहासिक है।दिल्ली के लिए: ऑन टू दिल्ली ए टेलिंग स्पीचेज ऑफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस।।। इस पुस्तक की शैली भारतीय राजनीति है, इसका प्रकाशन 1946 में हुआ। “दिल्ली चलो” का नारा इस पुस्तक से लिया गया है।ए बीकन एक्रॉस एशिया : इस पुस्तक की शैली ‘जीवनी’ आधारित है इस पुस्तक का प्रकाशन 1996 में हुआ था।राष्ट्र के विचार : इसकी शैली राजनैतिक है जिसे 2010 में प्रकाशित किया गया।भारतीय संघर्ष : इस पुस्तक का प्रकाशन 1948 में हुआ। इसमें नेता जी ने दो भागों में बांटा। 1920 से 1934 तक के भारतीय इतिहास को शामिल किया और दूसरे भाग में 1934 से 1942 तक का इतिहास है।जरूरी किचु लेखा: इसकी शैली राजनैतिक है, जिसका प्रकाशन 1977 में हुआ था। इसे बंगाली भाषा में लिखा गया, जिसका अनुवाद “कुछ जरूरी लिखना है” नाम से प्रकाशित हुआ।
सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि
सुभाष चंद्र की मृत्यु 18 अगस्त 1945 में रश्मि तरीके से की गई थी आज भी सभी व्यक्ति के लिए नेताजी की मृत्यु रेस्मी है लोगों को आज भी पता नहीं है। कि सुभाष चंद्र की मृत्यु आखिर कैसे हुई थी। इसलिए 18 अगस्त को सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि मनाई जाती है।
इस दिन उनकी याद में देश में कई बड़े आयोजन किए जाते हैं क्योंकि सुभाष चंद्र बोस जी के कारण ही आज भारत आजाद हो पाया है उन्होंने अपने जीवन की आहुति इस देश को आजादी के लिए ही दे दी ।
सुभाष चंद्र बोस के बारे में 10 | Subhash Chandra Bose 10 Line
- 23 जनवरी 18 सो 97 में सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक में हुआ था।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने माता पिता की आठवीं संतान थी।
- सुभाष चंद्र बोस ने अपनी नौकरी से साल 1921 में इस्तीफा दे दिया था।
- जब भगत सिंह को फांसी हुई थी तब सुभाष चंद्र बोस और गांधीजी के बीच में मतभेद हो गई थी।
- सुभाष चंद्र बोस ने 1947 में आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी।
- सुभाष चंद्र बोस ने कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की थी।
- नेता जी के पिताजी का नाम जानकीनाथ बोस था वह भी एक मशहूर सरकारी वकील थे।
- नेताजी को भारत की आजादी के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में गिना जाता है।
- 18 अगस्त 1945 को ताइवान में सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई थी।
सुभाषचंद्र बोस पर बनी फिल्म | Subhash Chandra Bose Movies

सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रकार की फिल्में भारतीय निर्माताओं के द्वारा बनाई गई है आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी फिल्मों के बारे में जैसे –
1950 | समाधी |
1966 | सुभाष चंद्र, |
2004 | नेताजी सुभाषचंद्र बोस : द फॉरगॉटेन हीरो |
2011 | अमी सुभाष बोलची |
2017 | बोस डेड अलाइव |
2019 | गुमनामी |
2020 | द फॉरगॉटेन आर्मी |

सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार एवं प्रसिद्ध भाषण
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में बहुत से महान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्हीं में से एक सुभाष चंद्र बोस थे। बोस के सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक अनमोल विचार निम्नलिखित हैं।।।
1 तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
2 जीवन में अगर संघर्ष ना रहे या भय का सामना ना करना पड़े तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
3 अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है।
4 आजादी मिलती नहीं बल्कि उसे छीनना पड़ता है।
5 याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
6 संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया मुझमें आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ जो पहले नहीं था।
सुभाष चंद्र बोस के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
नेताजी को 1992 मैं भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न मानव प्राण देने की बात कही गई थी परंतु उनकी मृत्यु को लेकर संसद में एक नई बहस शुरू हो गईI जिसके कारण भारत सरकार ने उन्हें यह पुरस्कार देने की बात को ही खारिज कर दियाI
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु को लेकर विवाद (Subhas Chandra Bose controversy)

मुखर्जी कमीशन ने सन 2006 में संसद में कहा था कि नेताजी की मौत दिमाग फ्रेश के कारण नहीं हुई है और रेकोजी मंदिर में जो अस्थियां रखी हैI वह नेताजी की नहीं हैI परंतु भारत सरकार ने इस बात को खारिज कर दिया और इस बात पर आज भी जांच के साथ-साथ विवाद चल रहा है I
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु ( Subhas Chandra Bose Death)
नेताजी द्वितीय विश्व युद्ध मैं जापान की हार के बाद से ही काफी दुखी थे और वह इस समस्या का कोई नया हल निकालना चाहते थेI इसलिए उन्होंने रूस से मदद मांगने की सोची और 18 अगस्त 1945 को नेताजी मसूरिया की तरफ जा रहे थेI तब ताइवान मैं इनका प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गयाI लेकिन उनका मृत शरीर नहीं मिला और कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया भारत सरकार ने नेताजी की मृत्यु के लिए इस जगह पर बहुत ही जांच की कमेटी बनाईI
परंतु इस बात का आज तक पता नहीं चला कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कैसे हुई मई 1956 में शाहनवाज कमेटी नेताजी की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए जापान गई पर ताइवान से राजनीतिक रिश्ता अच्छा ना होने के कारण वहां की सरकार ने इस कमेटी की कोई खास मदद नहीं की और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत एक रहस्य बनकर ही रह गई हैI आज भले ही नेताजी हम लोगों के बीच में नहीं रहे हो परंतु उन्होंने अपनी धरती मां के लिए ऐसा कर्तव्य निभाया है जिस कारण पूरा भारत है और इस कर्ज को वह मरते दम तक नहीं चुका सकता है I
क्योंकि सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के समय के आईएएस पद को त्याग कर भारत की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई है वह भारत माता के सच्चे सपूत हैंI जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते अपनी आजादी के लिए दे दीI सुभाष चंद्र ऐसे नेता थे जो भारत को गुलामी की जंजीरों से जल्द से जल्द आजाद कराना चाहते थे और उन्होंने कई देशों का भ्रमण कर लोगों की जानकारी भी इसलिए हासिल की थीI ताकि भारत की आजादी में लोगों की मदद ले सके परंतु ताइवान में दुर्घटना से भारत ने अपने लाल को खो दियाI
निष्कर्ष/Conclusion
दोस्तों इस लेख में हमने आपको सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से सभी जानकारी बताइए सुभाष चंद्र बोस भारत के एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.
उन्होंने अपने प्राणों की आहुति इस देश को देते हुए एक बार भी अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा उन्होंने बड़े गगन और हिम्मत से देशभक्ति की थी जिसके कारण आज भारत आजाद हुआ है हमने उनके संघर्षों के बारे मैं और उनसे जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में आपके लिए साझा की है.
आशा करते हैं दोस्तों हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप खुश होंगे इसी प्रकार और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करें और यह सभी जानकारी आप अपने मित्रों को जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी ऐसे महान व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके धन्यवाद.
FAQ
Q. सुभाष चंद्र बोस जयंती कब मनाई जाती है?
Ans. 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाई जाती है
Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम क्या था?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस था
Q. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु कब हुई?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना के कारण हुई थी
Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1891 में कटक में हुआ था
Q. आजाद हिंद फौज की स्थापना किसने की थी?
Ans.आजाद हिंद फौज की स्थापना सुभाष चंद्र बोस की थी
Q. आजाद हिंद फौज की स्थापना कब हुई थी
Ans.आजाद हिंद फौज की स्थापना 1943 में नेताजी के द्वारा हुई थी
Q.सुभाष चंद्र बोस के कितने बच्चे हैं?
Ans.29 नवंबर 1942 को विएना में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया। सुभाष ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा।
Q.सुभाष चंद्र बोस ने हमें क्या नारा दिया था?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आगरा में नारा दिया था ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’